राज्य के 11 जनपदों में पायलट प्रोजेक्ट के अनुरूप परवल की खेती का शुभारंभ किया जाएगा
परवल की नवीन प्रजातियों के विकसित होने के उपरांत झारखंड के कृषकों ने वैज्ञानिकों की सराहना और धन्यवाद किया है। किसानों का यह कहना है, कि वर्तमान में हमारे द्वारा उगाए गए परवल का स्वाद अन्य राज्य के लोग भी ले सकेंगे। इससे बिहार राज्य का नाम रौशन होगा और साथ में किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी होगी। ऐसा कहा जा रहा है, कि राज्य के 11 जनपदों में पायलट प्रोजेक्ट के अनुरूप परवल की खेती का शुभारंभ किया जाएगा। राष्ट्रीय बागवानी मिशन इसकी देखरेख करेगा। विशेष बात यह है, कि परवल की इन प्रजातियों की खेती ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी की जा सकती है।
परवल की एक एकड़ में खेती करने पर कितना खर्चा आता है
इसी कड़ी में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है, कि परवल की खेती से झारखंड के किसानों की आमदनी में काफी इजाफा होगा। क्योंकि, परवल एक ऐसी फसल है, जिसकी खेती चालू करने के उपरांत आप पांच वर्ष तक सब्जी तोड़कर प्राप्त सकते हैं। यदि किसान भाई एक एकड़ जमीन पर परवल का उत्पादन करते हैं, तो उनको लगभग 50 हजार रुपये तक का खर्चा करना पड़ेगा। लेकिन, इससे किसान अच्छा-खासा फायदा भी अर्जित कर पाऐंगे।
परवल में विटामिन-ए, विटामिन बी और विटामिन-बी1 पाए जाते हैं
जानकारी के लिए बतादें, कि गंगा के मैदानी क्षेत्रों में परवल की सर्वाधिक खेती होती है। बिहार एवं उत्तर प्रदेश परवल के मुख्य उत्पादक राज्य है। यहां के परवल की बिक्री संपूर्ण भारत में होती है। परवल में विटामिन-बी1, विटामिन बी2, विटामिन-ए एवं विटामिन-सी और कैल्शियम विघमान होता है। परवल की सब्जी बेहद ज्यादा स्वादिष्ट बनती है। बहुत सारे लोग परवल का अचार बनाकर भी खाते हैं।
दरअसल, किसानों के समक्ष समयानुसार फसलों की सिंचाई करना एक बड़ी चुनौती रहती है। हरियाणा के समस्त इलाकों में नहर का पानी नहीं पहुंचता है। ऐसी स्थिति में किसान ट्यूबवेल की सहायता से सिंचाई करते हैं। ये सारे ट्यूबवेल बिजली अथवा डीजल से चलते हैं। अब ऐसी स्थिति में समस्त किसान डीजल और बिजली बिल का खर्च नहीं उठा पाते हैं। साथ ही, कभी- कभी गांवों में लंबे समय तक बिजली गायब हो जाती है। इससे भी सिंचाई समयानुसार नहीं हो पाती है। इन्हीं समस्त समस्याओं को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने सोलर पंप लगाने का निर्णय किया है।
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आवेदन की अंतिम तिथि
हरियाणा सरकार द्वारा प्रधानमंत्री कुसुम योजना और उत्थान महाभियान के अंतर्गत खेतों में सोलर पंप लगाने का ऐलान किया है। इसके अंतर्गत किसानों को सरकार अच्छा-खासा अनुदान देगी। यदि किसान भाई अपने खेत में सोलर पंप लगाना चाहते हैं, तो वह आधिकारिक वेबसाइट pmkusum.hareda.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की अंतिम तारीख 12 जुलाई तक ही है। इस वजह से किसान भाई अतिशीघ्र अनुदान का फायदा उठाने के लिए आवेदन करें।
योजना का फायदा लेने हेतु आवश्यक दस्तावेज
मुख्य बात यह है, कि प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा एवं सुरक्षा और उत्थान महाभियान के अंतर्गत किसान भाई अपने खेत में 3 से 10 HP के सोलर पंप स्थापित कर सकते हैं। इसके ऊपर हरियाणा सरकार 75 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान करेगी। विशेष बात यह है, कि इस योजना में पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किसानों को सोलर पंप हेतु अनुदान का लाभ दिया जाएगा। साथ ही, इस योजना का फायदा उठाने वाले कृषकों के पास हरियाणा परिवार पहचान पत्र, आवेदक के नाम पर बिजली पम्प का कनेक्शन और कृषि भूमि का जमाबंदी अवश्य होना चाहिए।
वर्तमान में हापुड़ जनपद के किसान अनुदान का लाभ उठा सकते हैं। जिला उद्यान विभाग राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत सब्जी, फल, फूल और मसालों की खेती करने पर अनुदान प्रदान कर रही है। विशेष बात यह है, कि यदि किसान भाई इनकी खेती करना चाहते हैं, तो विद्यान विभाग उनको 50 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान करेगा। यदि किसान भाई अनुदान का फायदा लेना चाहते हैं, तो वह घर बैठे ही ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।
कृषकों को अन्य फसलों का उत्पादन करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि हापुड़ जनपद में किसान पारंपरिक खेती के साथ-साथ बागवानी फसलों की भी खेती करते हैं। परंतु, सरकार जनपद में बागवानी का क्षेत्रफल और बढ़ाना चाहती है। यही कारण है, कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत अनुदान देने का निर्णय लिया गया है। जिला उद्यान अधिकारी डॉ. हरित कुमार ने बताया है, कि जनपद में कृषकों को गेहूं एवं गन्ने के अतिरिक्त दूसरी फसलों की खेती करने के लिए भी बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे कि प्रत्येक वर्ग के किसानों को पहले की तुलना में अधिक आय अर्जित हो सके।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत कद्दू, लहसुन, प्याज, मिर्च, गेंदा, रंजनीगंधा, लीची, शिमला मिर्च और अमरूद की खेती करने के लिए किसानों को अनुदान दिया जा रहा है। उद्यान अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत यदि कृषक भाई 30 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम, ड्रेगन फ्रूट, अमरूद और पपीता की खेती करते हैं, तो उन्हें 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाएगा। यदि किसान भाई 30 हेक्टेयर में रजनीगंधा, ग्लेडियोलस और गेंदा जैसे फूलों की खेती करते हैं, तो उन्हें 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा।
कृषक भाई अनुदान हेतु यहां करें ऑनलाइन आवेदन
बतादें, कि इसके अतिरिक्त लौकी, करेला, शिमला मिर्च, तोरई, खीरे, पत्तागोभी, टमाटर और फूलगोभी की बुवाई 205 हेक्टेयर में करते हैं, तो इस पर कृषक भाइयों को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसी प्रकार 245 हेक्टेयर में लहसुन, प्याज और मिर्च की खेती करने पर 40 फीसदी तक अनुदान मिलेगा। यदि इच्छुक कृषक भाई चाहें, तो अनुदान का लाभ उठाने के लिए www.rkvy.nic.in पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
बाजार में कितने रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा खरबूजे का बीज
यही कारण है, कि इस वर्ष शिव शर्मा ने 120 बीघे जमीन में खरबूजे की खेती की है। इससे उन्होंने मात्र 2 माह के अंदर ही लागत को हटाकर 18 लाख रुपये का फायदा हुआ है। उनके खेत में आज भी 50 मजदूर प्रतिदिन कार्य करते हैं। विशेष बात यह है, कि शिव शर्मा खरबूज के बीज का व्यवसाय करता है। उसने बताया है, कि एक बीघे से लगभग एक क्विटंल खरबूज के बीज प्राप्त हो जाते हैं। बीज के अतिरिक्त खरबूज की बिक्री भी होती है। उसने कहा है, कि खरबूज से बीज निकालने के उपरांत फल को फेंक दिया जाता है। अभी बाजार में 25 हजार रुपये प्रति क्विंटल खरबूजे का बीज बेचा जा रहा है।
हाथरस खरबूजे से बीज निकालने वाला सर्वोच्च केंद्र है
शिव शर्मा के मुताबिक, 24 वर्ष की आयु में उन्होंने खरबूजे की खेती चालू की थी। तब दोस्तों ने उसका काफी मजाक उड़ाया था। हालांकि, उसने हिम्मत नहीं हारी एवं अपना कार्य जारी रखा था। बतादें, कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में खरबूजे से बीज निकालने का सर्वोच्च केंद्र है। परंतु, अशोकनगर से भी हाथरस खरबूजे के बीज की आपूर्ति होती है। शिव शर्मा का कहना है, कि अभी उसके यहां प्रतिदिन 200 से 250 लोग खरबूज खरीदने हेतु आते हैं।